कोरोना वायरस से बचाव कैसे करें , पढ़ें इसके बारे में

 कोरोना वायरस से बचाव कैसे करें , पढ़ें इसके बारे में

कोरोना वायरस का संक्रमण भारत में तेजी से फैल रहा है। ऐसे में आप शायद एक गलती कर रहे होंगे, जिसकी वजह से आप भी इस संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।

कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया के कई देशों चुके हैं और अब तक 5000 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। भारत में भी इस वायरस का प्रकोप बड़ी तेजी से फैल रहा है जिसे देखते हुए आपको हर स्तर की सावधानी बरतनी होगी।

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यहां तक कि आप अगर संक्रमण से बचे रहने के लिए सारे उपाय कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आपको इस बात की घबराहट है कि कहीं आपको संक्रमण ना हो जाए, तो शायद यह आपके लिए बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है! लेकिन क्यों?

​​संक्रमण से बचने के उपाय करने के बाद भी कैसा खतरा

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जी हां, आप भी इस बात को सुनकर चौक रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि सारे बचाव टिप्स को अपनाने के बाद भी हम संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। दरअसल, संक्रमण होने का डर ही आपको संक्रमण की चपेट में ला सकता है। अरे! ऐसा इसलिए, क्योंकि डरने के कारण आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाएगा जिसके बाद आप बड़ी आसानी से कोरोना वायरस की चपेट में आ जाएंगे।

​डरने के कारण कैसे कमजोर हो सकता है इम्यून सिस्टम
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कई लोग ऐसे हैं जो प्रॉपर हाइजीन के बाद भी कोरोना वायरस के संक्रमण से डरे हुए हैं और वे लगातार इस बारे में सोच भी रहे हैं। जब आप किसी भी चीज के बारे में बहुत ज्यादा सोचते हैं तो आपका स्ट्रेस भी बढ़ जाता है। स्ट्रेस बढ़ने के कारण ही इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है, क्योंकि स्ट्रेस हार्मोंस कोर्टिकोस्टेरॉइड, इम्यून सिस्टम के प्रभाव को कम करने लगता है और आपके शरीर में कोई भी संक्रमण बड़ी आसानी से प्रवेश कर सकता है। इम्यून सिस्टम का प्रभाव कम हो जाने के कारण यह किसी भी प्रकार के वायरस को शरीर में प्रवेश करने से नहीं रोक पाएगा और आप संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।

​​क्यों कम हो जाता है इम्यून सिस्टम का प्रभाव?

दरअसल, इम्यून सिस्टम की एक पूरी चेन छोटी-छोटी कोशिकाओं के रूप में हमारे शरीर में फैली हुई हैं। स्ट्रेस लेने के कारण यह कोशिकाएं सक्रिय रूप से काम नहीं कर पाती हैं और यही वजह है कि इम्यून सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए कोशिश करें कि प्रॉपर हाइजीन के बाद भी आप किसी भी प्रकार का स्ट्रेस ना लें। आप की कोशिश यह होनी चाहिए कि कोरोना वायरस से बचे रहने के लिए जो भी उपाय आपको बताए गए हैं उन्हें जरूर फॉलो करें।

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कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे किया जाता है?

कोविड -19 (कोरोना वायरस) के टेस्ट में किसी प्रकार का ब्लड टेस्ट नहीं होता है। कोविड-19 टेस्ट में गले की खराश या फिर नाक की एक स्वैब के जरिए जांच की जाती है। सैंपल लेने के बाद, नोडल अस्पतालों में तैनात डॉक्टर जांच करते हैं कि क्या व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है या नहीं? नहीं तो आपको घर पर ही आइसोलेट रहने के लिए कहा जा सकता है। यदि टेस्ट पॉजिटिव आते हैं, तो ठीक होने तक संक्रमित व्यक्ति को कम से कम 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन यानी एकांत में रहने की आवश्यकता हो सकती है।

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