Republic Day 2021: Preamble के पहले 5 शब्द पूरे संविधान की करते हैं व्याख्या,आप भी जाने इनका मतलब
26 जनवरी 2021 को भारत अपना 72 वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। क्या आप जानते हैं कि प्रस्तावना के प्रारंभिक 5 शब्द हमारे संविधान के स्वरूप को दर्शाते हैं। प्रस्तावना के शब्द न सिर्फ संविधान को अंगीकार किए जाने के पहले की घटनाओं को दर्शाते हैं, बल्कि इनसे पिछले 71 वर्षों में देश को मजबूती भी मिली है।
वहीं प्रस्तावना के अंतिम शब्द संविधान के उद्देश्य के बारे में बताते हैं। जानिए प्रस्तावना के कैसे प्रारंभिक और अंतिम शब्द संविधान के स्वरूप को दर्शाते हैं-
प्रस्तावना के प्रारंभिक पांच शब्द-
- संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न : इसका मतलब है कि भारत अपने आंतरिक और बाहरी निर्णय लेने के लिए स्वंतत्र है।
- समाजवादी : संविधान वास्तव में समाजवादी समानता की बात करता है। भारत ने ‘लोकतांत्रिक समाजवाद’ को अपनाया है।
- पंथनिरपेक्ष : इसका तात्पर्य है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। जो भी धर्म होगा वह भारत की जनता का होगा।
- लोकतंत्रात्मक : लोकतंत्रात्मक का अर्थ है ऐसी व्यवस्था जो जनता द्वारा जनता के शासन के लिए जानी जाती है।
- गणराज्य : ऐसी शासन व्यवस्था जिसका जो संवैधानिक/ वास्तविक प्रमुख होता है, वह जनता द्वारा चुना जाता है।
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