बचपन में ऑटिज्म की पहचान करने के लिए रेटिना स्कैन तकनीक विकसित की गई

 बचपन में ऑटिज्म की पहचान करने के लिए रेटिना स्कैन तकनीक विकसित की गई


हांगकांग के एक वैज्ञानिक ने एक ऐसी विधि विकसित की है जो मशीन लर्निंग (Machine Learning – ML) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence –  AI) का उपयोग करती है और बचपन में आटिज्म (Childhood Autism) का पता लगाने के लिए बच्चों के रेटिना को स्कैन करती है।

यह नई तकनीक छह साल तक के बच्चों के रेटिना को स्कैन कर सकती है और ऑटिज्म के खतरे को पहचानने में मदद करती है। इस तकनीक के वाणिज्यिक संस्करण को वर्ष 2021 के अंत तक विकसित किया जाएगा।

नई तकनीक के बारे में

यह नई तकनीक एक नए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के साथ एक हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरा का उपयोग करती है। सॉफ्टवेयर आंख में रक्त वाहिकाओं और फाइबर परतों जैसे कारकों के संयोजन का विश्लेषण करता है जो बच्चों में आटिज्म के जोखिम की पहचान करने में मदद कर सकता है। एक बार जब आटिज्म के जोखिम की पहचान की जाती है, तो समय पर बेहतर उपचार कार्यक्रम लागू किए जा सकता है।

ऑटिज्म क्या है? (What is Autism)

यह एक विकासात्मक विकार है जिसमे प्रभावित व्यक्ति सामाजिक संपर्क और संचार की कठिनाइयों का सामना करता है। इसमें प्रतिबंधित और दोहरावदार व्यवहार एक प्रमुख विशेषता है। ऑटिज्म के लक्षण आमतौर पर बच्चे के पहले तीन वर्षों के दौरान पहचाने जाते हैं। ऑटिज्म के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। यह विकार आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से जुड़ा हुआ है। 2015 तक दुनिया भर में ऑटिज्म से लगभग 24.8 मिलियन लोग प्रभावित थे। यह विकार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है।

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