पटना यूनिवर्सिटी का गौरव लौटाना हमारी प्राथमिकता, केसी सिन्हा ने कहा- पहले शिक्षकों का होता था सम्मान

 पटना यूनिवर्सिटी का गौरव लौटाना हमारी प्राथमिकता, केसी सिन्हा ने कहा- पहले शिक्षकों का होता था सम्मान

प्रो. केसी सिन्हा को पटना यूनिवर्सिटी के अस्थाई वाइस चांसलर बनाया गया है। उन्होंने गुरुवार को पदभार ग्रहण किया। पूर्व कुलपति गिरीश कुमार चौधरी को विश्वविद्यालय सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। दैनिक भास्कर ने केसी सिन्हा से पदभार ग्रहण करने के खास बातचीत की। बातचीत में उन्होंने कहा कि पटना यूनिवर्सिटी का गौरव लौटना हमारी प्राथमिकता होगी।

पटना यूनिवर्सिटी का कार्यभार आपको मिला है तो आपकी आगे की क्या स्ट्रेटजी होगी, कैसे यूनिवर्सिटी को बेहतर बनाने में अपना सहयोग करेंगे?

जवाब: मेरी पढ़ाई पटना यूनिवर्सिटी से हुई है। यहीं नौकरी भी कर रहा हूं। यहां हेड, डीन प्रिंसिपल तीनों जगह रह चुके हैं। कुलपति पद पर कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। अपना जो इंस्टीट्यूशन होता है, उससे अलग तरह का लगाव रहता है। हम लोगों के समय में क्वालिटी टीचिंग और रिसर्च पर विशेष ध्यान दिया जाता था।

मैं साइंस कॉलेज के हॉस्टल में रहता था। रात में हॉस्टल से निकलते थे तो देखते थे कि केमिस्ट्री डिपार्टमेंट और बॉटनी डिपार्मेंट में रिसर्च होते देखते थे। विद्यार्थी को एक भी क्लास ड्रॉप नहीं करना होता था। अगर कोई टीचर छुट्टी पर रहते थे तो दूसरे टीचर उस क्लास को इंगेज करते थे। पटना यूनिवर्सिटी टीचिंग के लिए ही मशहूर था। हमारी कोशिश होगी कि कम समय में पुनः वो टीचिंग हो। यूनिवर्सिटी की पढ़ाई से ही यहां के बच्चे IAS, IPS, प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट बनते थे। अब अपने शिक्षकों की मदद से पुरानी गरिमा को वापस लाएंगे। क्योंकि वीसी अकेले कुछ नहीं कर सकता है।

पिछले तीन वर्षों में पटना यूनिवर्सिटी रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ा है, लेकिन टीचिंग के क्षेत्र में पीछे है। क्वालिटी टीचिंग पर हमारा फोकस रहेगा। क्वालिफाइड रिटायर्ड टीचर्स की मदद से फैकल्टी की कमी को दूर किया जाएगा।

सवाल: आपने अपनी पढ़ाई पटना यूनिवर्सिटी से पूरी की है, जब आप पढ़ते थे और अभी के पढ़ाई में आप क्या अंतर देखते हैं?

जवाब: फर्क तो होता ही है क्योंकि वक्त के साथ चीजें बदलती है। हमारे समय में शिक्षक पैदल आते थे और छाता लेकर आते थे। एक से एक बड़े शिक्षक साइकिल से भी आते थे, लेकिन उनका क्लास जो होता था, वह भरा होता था। उनका इतना सम्मान था कि वह जिस रास्ते से गुजरते थे तो स्टूडेंट के साथ आम नागरिक सर झुका कर सम्मान करते थे।

सवाल: पटना यूनिवर्सिटी में अक्सर छात्रों के बीच मारपीट और गुंडागर्दी देखने को मिलती है। इससे कैसे निपटेंगे?

जवाब: मैं यह कहूंगा कि पहले भी छात्रों के बीच मारपीट होती थी, लेकिन वह दूसरे तरीके का होता था। पहले अपने डिमांड्स को लेकर स्टूडेंट्स लड़ते थे। स्टूडेंट की डिमांड को सुनना चाहिए और उनके डिमांड्स अगर सही है तो उसको मानने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।

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