दीदी जी फाउंडेशन में मनायी गयी संत रविदास की जयंती
संत रविदास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया : डा. नम्रता आनंद
संत रविदास सभी वर्ग के लिए मार्गदर्शक थे : डा. नम्रता आनंद
पटना : 17 फरवरी सामाजिक संगठन दीदी जी फाउंडेशन ने देश के सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, जन कवि संत शिरोमणि रैदास की 645 वीं जयंती धूमधाम के साथ मनायी। राजधानी पटना कुरथौल स्थित दीदी जी फाउंडेशन के संस्कारशाला में जन कवि संत शिरोमणि रैदास की 645 वीं जयंती धूमधाम के साथ मनायी। संत रविदास के चित्र पर लोगों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया।
इस मौके पर उपस्थित दीदी जी फाउंडेशन की संस्थापिता और राजकीय सम्मान से अंलकृत डा. नम्रता आनंद ने कहा, कविराज संत शिरोमणि रैदास जी उन महान संतों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है, जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता हैं।
उन्होंने कहा ,संत रविदास सभी वर्ग के लिए मार्गदर्शक थे। यह भारत के महापुरुषों में से एक हैं। संत रविदास जी ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया। संत रैदास को कई प्रसिद्ध दोहों व पद रचना के लिए जाना जाता है। “मन चंगा तो कठौती में गंगा” का कथन उन्हीं का दिया हुआ है। इसका अर्थ है की अगर मन साफ है और विचार निर्मल हैं तो घर में ही तीर्थ है। उनकी काव्य रचनाओं को रैदासी के नाम से जाना जाता है।
संत रैदास की समन्वयवादी चेतना इसी का परिणाम है। उनकी स्वानुभूतिमयी चेतना ने भारतीय समाज में जागृति का संचार किया और उनके मौलिक चिंतन ने शोषित और उपेक्षित लोगों में आत्मविश्वास का संचार किया।इस अवसर पर डा. नम्रता आनंद, समाजसेवी मिथिलेश सिंह समेत कई गणमान्य लोगों ने संत रविदास के के महान् कृतित्व और व्यक्तित्व को प्रेरक और अतुलनीय बताया।