लॉकडाउन के कारण छोटे स्कुलो एवं कोचिंग संचालको में भुखमरी कि स्थिति

 लॉकडाउन के कारण छोटे स्कुलो एवं कोचिंग संचालको में भुखमरी कि स्थिति

COVID 19 को लेकर भारत सरकार द्वारा प्रथम LOCKDOWN 24 मार्च 2020 को लगाया गया था | उसके बाद भारत में धीरे धीरे COVID 19 का प्रकोप इतना ही चला गया | देश में ऐसी स्थति होगी इसका अंदाजा किसी को नही होगा | lockdown चार चरणों में लगाया गया प्रथम- 25 मार्च 2020 से 14 अप्रैल, दुतीय-15 अप्रैल 2020 से 3 मई, तृतीय- 04 मई 2020 से 17 मई 2020 चतुर्थ- 18 मई 2020 से 31मई 2020 करीब 69 दिनों के lockdown के बाद भी देश में करोना का कहर कम नही हुआ |

UNLOCK 1 में बहुत सारे सेवाओ को बहुत सारे शर्तों के साथ खोला तो गया पर स्कुलो और कोचिंग को पूर्णता बंद ही रखा गया | इसका सबसे बुरा असर छोटे स्कुलो एवं कोचिंग संचालको पर पडा है| अभी के समय में हर मोहल्ले में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 10 स्कूल एवं कोचिंग मौजूद है और सारे स्कूलो एवं कोचिंग में कम से कम 5-7 टीचर और 2 -३ स्टाफ कार्य कर ही रहे ही होंगे और अक्सर ऐसे संस्थान किराये के मकान में होते है ऐसे स्थिति में संचलको के साथ बहुत बड़ी परेशानी आ गई| संचालको के लिए अपने टीचर और स्टाफ को सैलरी देना काफी मुश्किल हो गया है उपर से किराया के लिए मकान मालिक का दबाव अलग है|

ऐसी स्थिति में छोटे स्कुलो एवं कोचिंग संचालको एवं वह काम करने वाले टीचर एवं स्टाफ को भुखमरी का सामना करना पर रहा है, कोई विकल्प नही होम कि स्तिथि में संचालको द्वारा अपना संस्थान को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नही रहा है| बहुत सरे ऐसे भी संचालक है जो कई वर्षो से इस बेबसाई में लगे थे, उनके पास अब कोई दूसरा विकल्प भी नही है कि वे जीविका चालने के लिए और भी कुछ कर पाए |


ऐसी हालत में उस में पढ़ने वाले बच्चो का भी भविष्य अन्धकार-मय हो गयाहैI जब देश COVID 19 से उबरे गा तो न जाने उसे ऐसे ऐसे कितने समस्यों का सामना करना पडेगा जो भी ऐसे स्कुलो में पढने वाले बच्चे और उनके अभिवावक है उनके पास एक ही रास्ता होगा सरकारी स्कूल में अपने बच्चो को भेजना क्योंकि उनकी वितीय हालत ऐसी नही होगी कि वो अपने बच्चो शहर के अच्छे स्कूल में पढ़ा सके|

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