PFI पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाने के गृह मंत्रालय के फैसले पर, BJP OBC मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ० निखिल आनंद का बयान
”पीएफआई पर गृह मंत्रालय के स्वागतयोग्य प्रतिबंध के बाद तथाकथित सेक्युलर पार्टियाॅं सवालों के घेरे में हैं। पीएफआई पर बैन के बाद तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों को राष्ट्र विरोधी और धार्मिक कट्टरपंथी संगठनों के गठजोड़ से राजनीति नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए।”
बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार बीजेपी के प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद ने पीएफआई पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाने के गृह मंत्रालय के फैसले का स्वागत किया है। निखिल ने एक विस्तृत बयान जारी कर कहा कि पीएफआई जैसे संगठन इस देश को आतंक की ज्वालामुखी में झोंकने के लिए लगातार अपना प्रभाव बढ़ा रहे थे। सीमी ने प्रतिबंध के उपरांत अपनी गतिविधियों को यथावत संचालित करने के लिए नाम बदलकर पीएफआई कर लिया था। सीमी अथवा पीएफआई के काम करने के तौर-तरीके एक जैसे रहे हैं जिसके तहत मुसलमानों विशेषकर युवाओं को लक्षित कर सदस्य के रूप में शामिल करना और उन्हें धार्मिक कट्टरपंथी के साथ-साथ भारत विरोधी और हिंदू विरोधी अवधारणा पर प्रशिक्षित करना।
पीएफआई ने उन क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया हुआ था जहाँ मुस्लिम आबादी बहुत अधिक है, विशेषकर भारत के सीमावर्ती इलाके के जिले और इस कारण बिहार में इसकी जद में आ चुका था। यहां तक कि उन्होंने मस्जिद और मदरसों में जाने वाले लोगों को भी निशाना बनाया, जिससे उन्हें अपने बुरे मंसूबों को पूरा करने के लिए सुरक्षित जगह मिल गई। सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह है कि तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने हमेशा इन राष्ट्रविरोधी संगठनों का समर्थन किया और किसी भी कार्रवाई के खिलाफ उन्हें ढाल बनकर संरक्षित किया है। पीएफआई का चैरिटी नेटवर्क भी उनकी राष्ट्रविरोधी और धार्मिक कट्टरपंथी गतिविधियों को कवर करने में मदद करता रहा है।
निखिल आनंद ने महागठबंधन दलों पर हमला करते हुए याद दिलाया कि पिछले दिनों बिहार के स्थाई मुख्यमंत्री सह गृहमंत्री नीतीश कुमार की नाक के नीचे राजधानी पटना में भी पीएफआई के बड़े गिरोह का खुलासा हुआ था जिसमें यह जानकर आश्चर्य होता है कि 20,000 लोगों को भारत विरोधी और धार्मिक कट्टरपंथी मानसिकता की बुनियाद पर ट्रेनिंग भी दी गई है। यही नहीं सीमा पार से पाकिस्तानी और साथ ही इस्लामी कट्टरपंथी- आतंकवादी संगठनों से भी उनके संपर्क एवं संबंध के सूत्र मिले थे। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों के सभी नेताओं ने इस कट्टरपंथी संगठन के खिलाफ एक शब्द ‘चूॅं’ तक नहीं बोला था बल्कि एनआईए और आईबी की कार्रवाई पर बहुत तकलीफ महसूस किया था।
निखिल आनंद ने वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वे सार्वजनिक तौर पर राष्ट्रविरोधी, आतंकवादी और कट्टरपंथी संगठनों के साथ गठजोड़ कर राजनीति ना करने का संकल्प लें और पीएफआई के मुद्दे को लेकर अपनी दोहरी छद्म मानसिकता पर सफाई दें. निखिल ने कहा, “हम इस देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार और भारतीय जनता पार्टी इन राष्ट्र-विरोधी और धार्मिक कट्टरपंथी संगठनों को भारत की एकता, अखंडता और शांति को दांव पर लगाने और चुनौती देने का कोई मौका नहीं देगी।”