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स्त्री विशेष

मैं भी छू सकती हूँ आकाश, मौके की मुझे है तलाश

नारी उस वक़्त वृक्ष की टहनी है जो विशाल परिस्तिथियों में भी डटे रहते हुए मुसाफिर को छाया प्रदान करती है| नारी को कोमलता एवं सहनशीलता को कई बार पुरुष ने उसकी निर्बलता मान लिया और उसे अबला कहा| किन्तु आशचार्य की बात तो यह है कि वो अबला नहीं वो तो सबला है|पुरुष शायद […]Read More