वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनमदेवकी परमानन्दम कृष्ण वन्दे जगतगुरु छैल जो छबीला , सब रंग में रंगीलाबड़ा चित का अडिला , सब देव तोसे न्यारा है माला गल सोहे , नाक मोती से तू जोहेकान कुंडल मन मोहे , लाल मुकुट सिर धारा है दुष्ट जन मारे , सब संतजन तारेताज चित में हमारे […]Read More
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फूलों में सज रहे हैं, श्री वृंदा बिपिन बिहारीऔर संग में सज रही हैं, श्री वृषभानु की दुलारी टेढ़ा सा मुकुट सिर पर, रखा है किस अदा सेकरुणा बरस रही है, करुणा भरी नजर सेबिन मोल बिक गए हैं, जबसे छवि निहारी बहियां गले में डाले, जब दोनों मुस्कुरातेसबको ही लगते प्यारे, सबके ही मन […]Read More
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृंदा बिपिन बिहारी|और संग में सज रही हैं, श्री वृषभानु की दुलारी|| टेढ़ा सा मुकुट सिर पर, रखा है किस अदा से|करुणा बरस रही है, करुणा भरी नजर से|बिन मोल बिक गए हैं, जबसे छवि निहारी|| बहियां गले में डाले, जब दोनों मुस्कुराते|सबको ही लगते प्यारे, सबके ही मन […]Read More