दर से तुम्हारे मैं उठ के ना जाऊ मुझको यही मर जाना है,झोली भरेंगे साई सभी की सब को यही समजाना है, तुम हो सभी के मैं हु तुम्हारा साई बाबा देदो सहारा,टूटी कश्ती डूभ न जाए साहिल तुम हो तुम हो किनारा,चाहे कहे अब वो सारा जमाना ये पागल दीवाना है ,झोली भरेंगे साई […]Read More
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इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले,श्री साई साई कहते फिर प्राण तन से निकले,इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले शिरडी पूरी अस्थल हो गोदावरी का तट हो,साई चरण का जल हो मेरे मुख में तुलसी दल हो,सन्मुख मेरा साई खड़ा हो जब प्राण तन से निकले,इतना तो साई करना […]Read More
जब से देखा तुम जाने क्या हो गया,ओ शिरडी वाले बाबा मैं तेरा हो गया, तू दाता है तेरा पुजारी हूँ मैं,तेरे दर का ए बाबा भिखारी हूँ मैं,तेरी चौखट पे दिल है मेरा खो गया,ओ शिरडी वाले बाबा मैं तेरा हो गया, जब से मुझको ए श्याम तेरी भक्ति मिली,मेरे मुरझाए मन में हैं […]Read More
सांई रहम नजर करना, बच्चों का पालन करना ।जाना तुमने जगत पसारा, सबही झूठ जमाना ।। मैं अंधा हूँ बंदा आपका, मुझको प्रभु दिखलाना ।।दास गनू कहे अब क्या बोलूं, थक गई मेरी रसना ।। रहम नजर करो, अब मोरे साई ।तुम बिन नहीं मुझे माँ बाप भाई ॥ मैं अंधा हूँ बंदा तुम्हारा ।मैं […]Read More
है अजब तरह का सामान तेरी शिर्डी में,आता हिन्दू है मुस्लमान तेरी शिर्डी में।आए जितने भी परेशान तेरी शिर्डी में,काम सबके हुए आसान तेरी शिर्डी में॥ दीवाना तेरा आया बाबा तेरी शिर्डी में।नज़राना दिल का लाया बाबा तेरी शिर्डी में। मिल मुझको मेरे बाबा, भरनी तुम्हे पड़ेगी, झोली मैं खाली लाया बाबा तेरी शिर्डी में॥ […]Read More
बन के साकार आ जाओ साईं , आ गयेहैं हम दर पे तुम्हारे| एक अरसे से आशा लगाये , हम खड़े हैं दरशको तुम्हारे || हम हैं दुनिया के अतिशयसताये, आयेहैं इसलिए तेरे द्वारे | आ के करुना करो साईं बाबा , हमको है आसरा बीएस तुम्हारे || हमने श्रद्धा का हलुआ बनाया , भक्ति […]Read More
दुनिया से दिल लगाकर सोचों तो क्या मिलेगा | साईं से लौ लगा लो तुम्हे आसरा मिलेगा || पद – सम्पदा- प्रतिष्ठा सब तो यही रहेगा | कुछ तो अरज लो ऐसा , तेरे साथ जो चलेगा || आये हो तो अकेले , जाओगे भी अकेले | मृत्यु से आगे कोई रिश्ता न जा सकेगा […]Read More
किश्ती को किनारा मिल गया | मुझको साईं का सहारा मिल गया ||(1) क्यों करूँ चिंता भला संसार की | उनकी रहमत का इशारा मिल गया ||(2) ढूंढ़ता फिरता था जिनको दर – बदर | अपने दिल में ही वो प्यारा मिल गया ||(3) व्यर्थ होती जा रही थी […]Read More