नारी उस वक़्त वृक्ष की टहनी है जो विशाल परिस्तिथियों में भी डटे रहते हुए मुसाफिर को छाया प्रदान करती है| नारी को कोमलता एवं सहनशीलता को कई बार पुरुष ने उसकी निर्बलता मान लिया और उसे अबला कहा| किन्तु आशचार्य की बात तो यह है कि वो अबला नहीं वो तो सबला है|पुरुष शायद […]Read More