ताजमहल या ‘तेजो महालय’ का सालों पुराना विवाद एक बार फिर से चर्चा में, इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर

 ताजमहल या ‘तेजो महालय’ का सालों पुराना विवाद एक बार फिर से चर्चा में, इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर

ताजमहल या ‘तेजो महालय’ का सालों पुराना विवाद एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है। भारतीय जनता पार्टी के नेता रजनीश सिंह द्वारा इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई हैI जिसमें ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खोलने अपील की गई है। इसके साथ ही इतिहास में कहानी मशहूर है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था, लेकिन 1989 में आई किताब ‘Taj Mahal, the True Story: The Tale of a Temple Vandalized’ के बाद चर्चाओं का नया दौर शुरू हो गया था। दावा किया गया था कि ताजमहल असल में तेजो महालय है। 

वही, इस किताब के लेखक पुरुषोत्तम नागेश ओक थे, जो कभी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में लेफ्टिनेंट भी रहे थेI आपको बता दें पीएन ओक अपनी हिंदू विचारधारा इतिहास को दोबारा लिखने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने केवल ताजमहल पर ही नहीं, बल्कि फतेहपुर सीकरी और कई विषयों पर किताबें लिखी। इनमें सबसे खास बात है कि ताजमहल पर उस दौरान उनकी लिखी हुई किताब पर कांग्रेस सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। इस किताब में उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए कई पुरातत्व और साहित्यिक सबूत पेश किए हैं।

जानकारी के मुताबिक, पत्रकार के साथ इतिहासकार रहे प्रोफेसर ओक को लेकर यह भी कहा जाता है कि इतिहास को लेकर किए गए शोध ने उनकी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वाली छवि को कमजोर कर दिया था। एक पुराने इंटरव्यू में ओक कहते हैं, ‘मैं नेताजी के साथ था। मैं INA में लेफ्टिनेंट था। मैं नेताजी के पास दूसरे नंबर के मेजर जनरल जेके भोंसले का निजी सचिव और एडीसी था। मैं जनरल भोंसले के साथ सिंगापुर, मलय, बर्मा में था।’

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