लोक आस्था का महापर्व चैत छठ आज नहाय-खाय के साथ शुरू, 2 अप्रैल को होगा खाना

लोक आस्था का महापर्व चैती छठ आज चैत्र शुक्ल तृतीया उपरांत चतुर्थी मंगलवार को नहाय-खाय से शुरू हो गया। छठ व्रती गंगा नदी में स्नान करने के बाद अपने साथ गंगाजल घर लेकर आएं। पूजन के बाद प्रसाद के रूप में अरवा चावल, सेंधा नमक से निर्मित चने की दाल, लौकी की सब्जी, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प ली।
आपको बता दें चैत्र शुक्ल षष्ठी तीन अप्रैल दिन गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में डूबते सूर्य को व्रती अर्घ्य देंगे। चार अप्रैल को रवि योग के संयोग में व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण के बाद महाव्रत को पूर्ण करेंगे। छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है।
वैदिक मान्यता के अनुसार, छठ के प्रसाद ग्रहण करने से शरीर निरोग होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस , गुड़ के सेवन से आंखों की पीड़ा समाप्त होने के साथ तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। स्वस्थ जीवन के लिए छठ जरूरी है। प्रकृति में फास्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है। मौसमी फल प्रसाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। परिवार की सुख समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जाने वाले इस व्रत की खासियत है ।