गणतंत्र की जननी वैशाली से ग्लोबल कायस्थ कॉन्फेंस के शंखनाद यात्रा की हुई शुरूआत
हाजीपुर, 25 सितंबर आजादी की लड़ाई के अलावा हर क्षेत्र में अपना विशिष्ट योगदान देने वाले कायस्थ समुदाय की लगातार की जा रही उपेक्षा तथा उनके हितों पर किए जा रहे कुठाराघात के विरोध में विश्वस्तरीय कायस्थ संगठन ग्लोबल कायस्थ कॉन्फेंस (जीकेसी) ने लोकतंत्र की जननी वैशाली से आज अपने शंखनाद यात्रा की शुरूआत की।
राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आगामी 19 दिसंबर को राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किये जा रहे विश्व कायस्थ महासम्मेलन में कायस्थ समाज एकजुट होकर अपनी आवाज को बुलंद करेगा। इसी को लेकर वैशाली के हाजीपुर से (जीकेसी) शंखनाद यात्रा की शुरूआत की गयी।
इस अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा भारतवर्ष का स्वर्णिम इतिहास चाहे वह प्राचीन, मध्य इतिहास हो या आधुनिक इतिहास ,साक्षी है कायस्थ समाज की विभूतियों के योगदान की कोई अनदेखी नहीं कर सकता है। देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री कायस्थ थे। बिहार के गौरवशाली निर्माण में कायस्थ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमारे गौरवशाली इतिहास में राजा महाराजा ही नही ,शिक्षाविद ,न्यायविद , प्रतिभाशाली पत्रकार ,चिकित्सक,कलाकार,या यूं कहें कि हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन देने वाले एक से एक कुल विभूति हुये हैं। आज हमें अपनी समृद्ध जनसंख्या को एकजुटकर के इतिहास गढ़ने की क्षमता को समझना होगा।अपने कुल और पूर्वजों के गौरवमयी इतिहास से प्रेरित होते हुए राजनैतिक तौर पर भी चैतन्य होने की आवश्यकता है।
जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने कहा, प्रायः सभी राजनीतिक संगठनों द्वारा भगवान चित्रगुप्त के वंशजों को दबाने की कोशिश की जा रही है और उनका वाजिब हक भी देने की बात तो दूर उसे छीन भी लिया जा रहा है ।ऐसी स्थिति में सभी कायस्थ संगठनों तथा चित्रगुप्त के वंशजों को एकजुट होकर इस रचनात्मक तथा सकारात्मक अभियान में अपना सशक्त योगदान देने की जरूरत है। अब समय चुप बैठने का नहीं है बल्कि राजनीति सामाजिक प्रशासनिक व्यापारिक तथा अन्य क्षेत्रों में अपने हक को लेकर आवाज को बुलंद करने की जरूरत है।
जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने जीकेसी के सात मूलभूत सिद्धांत सेवा, सहयोग,संप्रेषण, सरलता,समन्वय, सकारात्मकता और संवेदशनीलता को जीवन में आत्मसात करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर जीकेसी को विस्तार करने की जरूरत है।संगठन को आगे बढ़ाने के लिए सोच और विचारधारा का ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जीकेसी की स्थापना का महत्वपूर्ण उद्देश्य सम्पूर्ण कायस्थ समाज को संगठित, उन्नत एवं सशक्त करना है। कायस्थ समाज के लोगों को एक दूसरे से समन्वय स्थापित करने की जरूरत है, जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके।