बिहार के भोजपुर जिले के लाल को मिले सम्मान से शाहाबाद वासियों में खुशी की लहर
- विद्यावाचस्पति से अलंकृत हुए संजय सिंह
- अनूप कुमार सिंह
पटना: राष्ट्रभाषा हिन्दी व लोक भाषाओं के प्रचार~ प्रसार एवं विकास के लिए समर्पित थावे विद्यापीठ अपने स्थापना काल से ही हिन्दी और हिन्दी साहित्य की सहायक बोलियों व उप बोलियों के प्रचार-प्रसार हेतु निरंतर प्रयत्नशील है। भारतीय लोक साहित्य को हिंदी के माध्यम से प्रकाश में लाने की दिशा में थावे विद्यापीठ की अहम् भूमिका रही है।इसी कड़ी में बीते 15-16अक्टूबर को जगन्नाथ पुरी अधिवेशन भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ।
अधिवेशन के उद्घाटनकर्ता एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सम्मान से व्यक्ति का मान बढ़ता है और अपमान से व्यक्ति का व्यक्तित्व संकुचित होता है। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य सहित अन्य भारतीय भाषाओं के सारस्वत साधकों को सम्मानित कर प्रमाण पत्र एवं मानद उपाधि प्रदान करने का सिलसिला जारी है; ताकि उनका मनोबल बढ़े और आए दिन हिंदी और हिंदी की सहायक भाषाओं के ज्वलंत मुद्दों, विषयों, शोध परक कार्यों एवं सामाजिक साहित्यिक सेवा कर्तव्यों पर आधारित संगोष्ठी, शिविर, कार्यशाला ,अनुष्ठान सभा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन संचालन एवं शिक्षण प्रशिक्षण का आयोजन होता रहे।
इस दिशा में भी थावे विद्यापीठ प्रयत्नशील है। विद्यापीठ की स्थापना का उद्देश्य कला ,साहित्य और संस्कृति का उन्नयन करना है।बिहार के भोजपुर जिले अंतर्गत आरा निवासी और मुंबई के चर्चित युवा उद्यमी एवं हिन्दी-भोजपुरी के लिए समर्पित संजय सिंह को जगन्नाथ पुरी अधिवेशन के सम्मानोपाधि अर्पण सत्र में विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।यह उपाधि पीएचडी के समतुल्य होती है।यह उपाधि श्री सिंह को उनके हिन्दी-भोजपुरी के प्रति समर्पण और सुदीर्घ सेवा को ध्यान में रखते हुए प्रदान की गई है।
संजय सिंह को विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि मिलने पर थावे विद्यापीठ के कुलपति डॉ. शिवनारायण,कुलसचिव डॉ पी एस दयात्पति, राजेन्द्र प्रसाद सिंह,अरविंद कुमार,कमलेश,अंजनी कुमार,लालमोहन समेत बिहार और शाहाबाद के हजारों लोगों ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी है।