महादेव की भक्ति करने वाले श्रद्धालुओं को शिव के ये 8 प्रतीक करते हैं आकर्षित
ब्रह्मा, विष्णु, महेश….इन तीनों को ही सृष्टि का रचनाकार, करता-धर्ता व सर्वनाशक कहा जाता है| गले में सर्प की माला पहने व चाँद का मुकुट लगाए भगवान शिव को ही महेश कहा जाता है| आज हम आपको बताने जा रहे हैं महादेव के उन 8 प्रतीकों के बारे में जिन्हें जानकर आप सभी श्रद्धालुओं की शिवभक्ति और भी दृढ़ हो जाएगी|
1.माथे पर गंगा- आपने यह गौर किया होगा कि किसी भी तसवीर या मूर्ती में शिवजी की जटाओं में से जल की धारा बहती है| दरअसल, इस जल की धारा को गंगा कहा गया है| शिवजी के माथे पर गंगा, आध्यात्म की धारा का प्रतीक है|
2.चन्द्रमा मुकुट- महादेव के माथे पर सजा अर्ध चन्द्रमा मन की स्थिरता व आदि से अनंत का प्रतीक है| यह बताता है कि जिसकी शुरुआत होती है, उसका अंत भी निश्चित है|
3.तीसरा नेत्र- महादेव के लीलाट पर एक अतिरिक्त नयन देखा जाता है,जो बुराइयों और अज्ञानता का नाश करने का सूचक है| अक्सर, यह कहा जाता है कि जब महादेव का तीसरा नेत्र खुलता है तो तांडव होता है|
4.सर्प माला- शिवजी के गले में बंधी सर्प माला अहंकार को वश में रखने का प्रतीक है| यह व्यक्त करता है कि इंसान को हमेशा अपने अहंकार को वश में रखना चाहिए|
5.त्रिशूल की 3 शक्तियां- महादेव जिस त्रिशूल को अपने समीप रखते हैं, वो दरअसल 3 शक्तियों का सूचक है| त्रिशूल की तीनों नोखियाँ ज्ञान,इच्छा और पूर्णता का सूचक है|
6.डमरू का राज़- भगवान् शिव के त्रिशूल में बंधा डमरू सृष्टि के आरम्भ और ब्रह्म नाद का प्रतीक है|
7.रुद्राक्ष की उपयोगिता- महादेव अपने गले व बाजू में जिस रुद्राक्ष की माला को ग्रहण किये हुए है वह शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है|
8.बाघम्बर की निडरता- महादेव जिस बाघम्बर पर विराजमान रहते हैं वह बाघम्बर संसार में निडरता और दृढ़ता का प्रतीक है|
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