|| इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले ||
इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले,
श्री साई साई कहते फिर प्राण तन से निकले,
इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले
शिरडी पूरी अस्थल हो गोदावरी का तट हो,
साई चरण का जल हो मेरे मुख में तुलसी दल हो,
सन्मुख मेरा साई खड़ा हो जब प्राण तन से निकले,
इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले
मेरा प्राण निकले सुख से साई नाम निकले मुख से,
बच जाओ थोड़ दुःख से यमुना धराव बह से,
साई बाबा जल्दी आना जब प्राण तन से निकले,
इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले
मेरी अंतिम अर्जी सुनले इसको न ठुकराना,
दर्शन मुझे दे देना नहीं साई भूल जाना,
साई मुझको भिभूति देना जान प्राण तन से निकले,
इतना तो साई करना जब प्राण तन से निकले||