आज फिर किसानों व सरकार के बीच बैठक निश्चित, क्या मानी जाएगी किसानों की मांग?

 आज फिर किसानों व सरकार के बीच बैठक निश्चित, क्या मानी जाएगी किसानों की मांग?

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की आज सरकार के साथ सांतवें दौर की वार्ता होनी है।

इससे पहले 30 दिसंबर को हुई बातचीत में सरकार की किसानों के साथ दो मांगों पर सहमित बन गई है जिसमें पहला है कि पराली जलाना जुर्म नहीं होगा और दूसरा- बिजली संशोधन विधेयक 2020। ऐसा समझा जा रहा है कि लंबे समय से बातचीत के जरिए हल निकालने की कड़ी में ये बातचीत अहम साबित हो सकती है। किसानों की दो मुख्य मांगें- तीन नए कृषि कानूनों को खत्म करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी बनाने की मांग जैसे की तैसी बनी हुई हैं।

मांगें न मानने पर 26 जनवरी को किसान कर सकते हैं अपने ट्रैक्टरों के साथ परेड

सोमवार को होने वाली वार्ता मौटे तौर पर किसानों की इसी मांग पर टीकी होगी कि सरकार अपने तीनों कृषि कानून निरस्त कर दे। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो वो 26 जनवरी को  मनाने के लिए हजारों किसान अपने ट्रैक्ट्ररों के साथ परेड के लिए राजधानी में आगे बढ़ेंगे।

किसान यूनियन के 40 नेता करेंगे वार्ता में प्रतिनिधित्व

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश सरकार का नेतृत्व करेंगे, जबकि किसान यूनियन के 40 नेता वार्ता में किसानों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले 30 दिसंबर को किसानों और केंद्र के बीच छठे दौर की वार्ता हुई थी जहां कुछ चीजों लेकर उनकी रजामंदी हुई थी।

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