आज चैती छठ महापर्व का खरना होगा, जानें पूजा विधि व महत्व
इस वर्ष चैती छठ पर्व नवरात्रि के दरम्यान् ही सोलह अप्रैल से प्रारंभ हो गई है तथा 17 अप्रैल को समापन हो होगा। छठ महापर्व न्हाय खाय के दिन से शुरू होकर चार दिनों तक चलती है। यह पर्व चैत माह और कार्तिक महीने में मनाया जाता है। इस प्रकार आस्था का छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है।
इस वर्ष दिन शुक्रवार 16 अप्रैल चतुर्थी तिथि को न्याय खाय से चैत छठ का दिनांक आरंभ हुआ है। पंचमी तिथि 17 अप्रैल को छठ व्रत का खरना या लोहंडा होगा। खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करती है और गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाकर शाम में सूर्य देव की पूजा करने के पष्चात् प्रसाद के साथ कुछ खाती है।
इस वर्ष चैती छठ पर्व में अठारह अप्रैल दिन रविवार को शाम का अर्घ्य दिया जाएगा और 19 अप्रैल दिन सोमवार को सुबह में अर्घ्य दी जायेगी।
रविवार 18 अप्रैल 2021 षष्ठी तिथि को नदी या तालाब तट पर महिलाएं सायंकाल के समय पहुंचकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देगी। फिर सप्तमी तिथि 19 अप्रैल को नदी या तालाब के तट पर महिलाएं सुबह में उगते सूर्य देव को अर्घ्य देगी। इस व्रत के करने में साफ-सफाई व अन्य कठिन नियमों का पालन करना होता है इस कारण छठ पर्व को महापर्व के नाम से जाना जाता है।
इस महापर्व में साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए बड़ी सावधानी से छठी मैया की पूजा की जाती है। इस पर्व में प्रसाद के रूप में छठ मैया को चावल और गुड़ से बने खीर, गेंहू के आटे और गुड़ से बना ठेकुआ, पूड़ी, पकवान, ईख, फूल इत्यादि अन्य फल प्रसाद के रूप चढ़ाई जाती है। इस पर्व में नदी, सरोवर, तालाब में व्रती खड़े होकर सूर्य भगवान का ध्यान करते है और सूर्यादय होने पर व्रती उगते हुए सूर्यदेव को दूध और जल का अर्घ्य देती है। इसके बाद जल ग्रहण कर व्रत का समापन करती है। संवाददाता, ए बी बिहार न्यूज।