आज है संकष्टी चतुर्थी व्रत, पूजा के बाद जरूर पढ़ें भगवान गणेश की ये आरती
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इस दिन सभी दुखों को खत्म करने वाले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. साथ ही गौरी पुत्र गणेश जी के लिए व्रत रखा जाता है. इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति बप्पा के लिए पूजा-पाठ किया जाता है. इस बार फाल्गुन या फागुन संकष्टी चतुर्थी आज मनाई जा रही है. इस संकष्टी को द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जानी जरूरी है. भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को हरते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
भगवान गणेश खुद रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं. वह भक्तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष और दरिद्रता को दूर करते हैं. मान्यता है कि गणेश जी की आरती गाने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. हम आपको आज गणेशजी की आरती बता रहे हैं, जिसको संकष्टी चतुर्थी की पूजा करते समय आपको गाना चाहिए…
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥