आज है नवरात्र का छठा दिन, माँ कात्यायनी की पूजा कर होती है मोक्ष की प्राप्ति, पढ़िए ये कथा
भगवती का छठा स्वरुप कात्यायनी के नाम से विख्यात है| कथा यह है कि कत नाम के एक ऋषि हुआ करते थे| उनके कात्य नाम के पुत्र हुए थे| इन्हीं कात्य के गोत्र में महर्षि कात्यायन हुए थे| महर्षि कात्य ने वर्षों तक भगवती की कठोर तपस्या की थी|
वह भगवती के उनके घर में उत्पन्न होने की कामना करते थे| कुछ समय पश्चात जब दानवराज महिषासुर का अत्याचार धरती पर बढ़ गया और देवता उस भय से प्रतारित हो गए तो भगवन ब्रह्मा,विष्णु व महेश के अंश से महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी प्रकट हुई तो महर्षि कात्यायन ने सर्व प्रथम इनकी पूजा की| इसी कारण यह कात्यायनी देवी कहलाई|