तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं जीवन का अंग है… जो स्त्री पूजा करती है उसका सौभाग्य…
तुलसी का पौधा हमेशा घर के आंगन में लगाना चाहिए । आज के दौर में में जगह का अभाव होने की वजह तुलसी का पौधा बालकनी में लगा सकते है । शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी पूजन और उसके पत्तों को तोड़ने के लिए नियमों का पालन करना अति आवश्यक है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पत्तों के सेवन से भी देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है । जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी का सेवन करता है, उसका शरीर अनेक चंद्रायण व्रतों के फल के समान पवित्रता प्राप्त कर लेता है ।
तुलसी के लिए जरूरी बातें –
- तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए।
2.सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए । - रविवार को तुलसी पत्र नहीं
तोड़ने चाहिए । - जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है। उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है । उनके घर
सुख शांति व समृद्धि का वास रहता है घर का आबोहवा हमेशा ठीक रहता है। - द्वादशी के दिन तुलसी को नहीं तोडना चाहिए ।
- सांयकाल के बाद तुलसी जी लीला करने जाती है।
- तुलसी जी वृक्ष नहीं है! साक्षात् राधा जी का स्वरूप है ।
- तुलसी के पत्तो को कभी चबाना नहीं चाहिए।
तुलसी के पौधे का महत्व धर्मशास्त्रों में भी बखूबी बताया गया है। तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे से कई आध्यात्मिक बातें जुड़ी हैं। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुसली अत्यधिक प्रिय है। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है । क्योंकि भगवान विष्णु का प्रसाद बिना तुलसी दल के पूर्ण नहीं होता है । तुलसी की प्रतिदिन का पूजा करना और पौधे में जल अर्पित करना हमारी प्राचीन परंपरा है। मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन तुलसी की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि, सौभाग्य बना रहता है । कभी कोई कमी महसूस नहीं होती।
- जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर की कलह और अशांति दूर हो जाती है। घर-परिवार पर मां की विशेष कृपा बनी रहती है ।
- भगवान विष्णु का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है । इसका कारण यह बताया जाता है कि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं।
- कार्तिक महीने में तुलसी जी और शालीग्राम का विवाह किया जाता है. कार्तिक माह में तुलसी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।