भ्रष्टाचार की बुनियाद पर बने ट्विन टावर 9 सेकेंड में ध्वस्त,32 मंजिला इमारत मलबे तब्दील, देखें तस्वीर

नोएडा के सेक्टर 93 में सुपरटेक एमरॉल्ड सोसाइटी में भ्रष्टाचार की बुनियाद पर बनाये गये ट्विन टावर आज रविवार को चंद सेकेंड में ध्वस्त हो गया। इन टावरों को ध्वस्त करने के लिए जिस तरह से तैयारियां की गई थी ठीक उसी के मुताबिक ब्पूलास्रीट किया गया I बलास्ट करने से पहले एमरॉल्ड कोर्ट और एटीएस ग्रीन सोसाइटी के सभी 1396 फ्लैटों को पूरी तरह खाली करा ददिया गया था I फ्लैटों में रहने वाले सभी लोग अपने घरों को छोड़कर यहां से सुरक्षित स्थान पर चले गए थे।

वही, कुछ लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां चले गये तो कुछ तीर्थ यात्रा और हिल स्टेशन पर चले गये। जबकि कुछ यहीं पर होटलों में कमरें किराये पर लिए हैं। कुछ लोगों के ठहरने के लिए आस-पास की अन्य सोसाइटियों में भी व्यवस्था की गई थी । पुलिस ने पूरे इलाके को अपनी सुरक्षा में ले लिया था और टावरों के आस-पास अन्य लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उसके बाद ट्विन टावर को गिराने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी थी। 2:30 बजते ही धमाके के साथ 32 और 29 मंजिल के दोनों टावर धूल और मलबे के ढेर में तब्दील हो गया।

आपको बता दें ऊंची इमारत के ढहने से आसमान में धूल का गुबार दिखाई दिया। टावर के ध्वस्तीकरण के लिए करीब 9640 छेद में 3700 किलो विस्फोटक का प्रयोग किया गया था। देश में पहली बार इतनी ऊंची इमारत को इस तरह विस्फोट से ध्वस्त किया गया। इस मौके पर पुलिस से लेकर NDRF, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की टीमें मौजूद थी। वहीं वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पानी के टैंकर मौजूद हैं जिनसे पानी का छिड़काव किया जा रहा है। एंटी स्मॉग गन भी लगाई गई हैं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर वाहनों की आवाजाही बंद है।

इससे पहले केरल के मराडु में जनवरी 2020 में 18 मंजिला इमारत को इस तरह ध्वस्त किया गया था। अरबों रुपए की खर्च से बने दोनों ट्विन टावर भ्रष्टाचार के प्रतीक बन चुके थे। नोएडा के माथे पर कलंक से दिखने वाले दोनों टावर में कई नियमों की अनदेखी की गई थी। नेशनल ब्लिडिंग कोड के नियमों की अनदेखी कर टावर को मंजूरी दी गई थी। दोनों टावर के बीच की दूरी 16 मीटर की बजाय सिर्फ 9 मीटर रखी गई।