26/11 की अनसुनी दास्ताँ, जांबाज़ो की जुबानी

 26/11 की अनसुनी दास्ताँ, जांबाज़ो की जुबानी

26 नवंबर, 2008 देश के इतिहास का सबसे भयावह दिन है। यही वह दिन था जब दुनिया ने मुंबई में आतंक का डरावना चेहरा देखा था। उस हमले में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे और देश के कुछ वीर सैनिक और पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए थे। आज हम लेकर आए हैं उस  भयावह दृश्य का बहादुरी से सामना करने वाले फौलादी चेहरों की आवाज़…

1.मुंबई हमले के एक ऐसे ही हीरो रहे तमिल सेल्वन। वह उस समय रेलवे पार्सल कर्मचारी थे |उनके मुताबिक, ‘हमला शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद टीवी में फ्लैश आया कि फायरिंग है। मुंबई में मेरा परिवार है। न्यूज में लाश देखकर उन्होंने मेरे मोबाइल में कई बार कॉल की यह जानने के लिए कि मैं कहां हूं। मैंने फोन अटेंड नहीं किया। मुझे लगा कि अगर मैं फोन अटैंड कर लेता तो किसी को बचाने में देरी हो सकती थी।’ सेल्वन ने गोलियों की परवाह नहीं करते हुए जख्मी कई लोगों और पुलिसवालों की जान बचाई।

2.मुंबई हमले के दौरान एक और कॉमन मैन हीरो बनकर उभरा। उनका नाम है विष्णु जेंडे जो रेलवे अनाउंसर हैं। विष्णु जेंडे ने उस खौफनाक रात को याद करते हुए बताया, ‘मुझे कसाब की वह कुटिल हंसी याद है। राइफल के साथ वह उप-नगरीय प्लैटफॉर्म की ओर बढ़ता आ रहा था।’ जेंडे ने कहा कि कसाब हंसते और लोगों को गालियां देते हुए अपनी राइफल से गोलियां चलाता जा रहा था।’ हमले की उस काली रात को छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर मौजूद रेलवे अनाउंसर ने अपनी सूझबूझ से कई लोगों की जान बचाई थी।

3.छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के पास है रिफ्रेश नाम का रेस्ट्रॉन्ट, जिसके मालिक ने खुद गोलियां खाकर लोगों की जान बचाई। उसने वॉशरूम के पास से गोलियों की आवाज सुनी।  कई लोगों को अपने रेस्ट्रॉन्ट में शरण दिया और उनलोगों से टेबलों के नीचे छिप जाने को कहा। वह खुद बाहर खड़ा हो गया और दो गोलियां खुद उसको आकर लगीं। एक उसके पेट में और दूसरी छाती। उसने हिम्मत और बहादुरी दिखाते हुए एक कैब पकड़ी और अकेले बॉम्बे हॉस्पिटल तक पहुंचा जहां डॉक्टर उसे देखकर हैरान रह गए। कुछ समय बाद वह कोमा में चला गया और 27 नवंबर को उसे ‘मृत’ घोषित कर दिया गया। लेकिन फिर उसके अंगों ने काम करना शुरू कर दिया और वह अपने पैरों पर खड़ा हो गया। दिसंबर मध्य तक उसने फिर से काम करना शुरू कर दिया।

4.मुंबई हमलों के दौरान केवल इंसान ही नायक नहीं बने बल्कि यह भूमिका सुल्तान, मैक्स, टाइगर और सीजर नाम के स्निफर डॉग्स ने भी निभाई। इस डॉग स्क्वॉयड ने आतंकवादी हमलों के दौरान बचाव में काफी मदद की। आज इस स्क्वॉयड के सभी कुत्ते हमारे बीच नहीं हैं लेकिन इनकी कहानियां हमेशा सुनाई जाएंगी। इन चारों ने कई बमों का पता लगा सैकड़ों लोगों की जान बचाई है|

AB BIHAR NEWS सलाम करता है उन सभी जांबाजों को जिन्होंने 26/11 के आतंकवादी हमले में अपनी जान गंवाई और उन सभी नायकों को भी जिन्होनें अपनी फ़िक्र न करते हुए दूसरों की जान बचाई और आज उस भयावह रात की दास्ताँ पूरी दुनिया तक पहुंचाई|

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