जदयू में उपेंद्र कुशवाहा की वापसी
रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहाकी पार्टी का जदयू में विलय के सवाल पर गत् बुधवार को जदयू के पूर्व अध्यक्ष वषिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि सकारात्मक बात इस दिषा में चल रही है। सीएम नीतीश कुमार से उपेन्द्र कुशवाहा का जुड़ने व अलग होने का यह पहला मौका नही है। उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही अपनी राजनीतिक सफर प्रारंभ की थी। अब तक कई बार आपसी राजनीतिक मतभेदों के चलते रालोसपा सुप्रीमों ने उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी छोड़ी तथा वापस आए।
रालोसपा एनडीए के अंतर्गत 2014 वर्ष में लोकसभा चुना लड़कर तीन सीटें हासिल की। केंद्रीय मंत्रीमंडल में उपेन्द्र कुशवाहा मंत्री बने। हांलाकि उनकी पार्टी रालोसपा 2015 विधानसभा चुनाव में दो सीटें ही हासिल कर पायी। इसके उपरांत उनकी पार्टी महागठबंधन में शामिल हुआ, लेकिन चुनाव 2020 से पहले ही महागठबंधन वे उपेन्द्र कुशवाहा अलग हो गये। इसके बाद कई अन्य दलों के साथ गठबंधन बनाकर बिहार विधानसभा चुनाव में उतरे लेकिन उनकी पार्टी का सफलता हाथ नहीं लगी।
रालोसपा का विधानसभा चुनाव में सफाया हो गया तो नीतीश कुमार की पार्टी कम सीटें मिलने से झटका लगा। चुनाव के उपरांत मजबूत संगठन व जनाधार की तलाष में जदयू पार्टी लगी है। राजनीति में फिर से उपेंद्र कुषवाहा को भी अपनी जमीन की तलाष है।
उपेंद्र कुषवाहा की राष्ट्रीय समता पार्टी का विलय नवंबर 2009 में जदयू में इससे पहले हुआ था। इसके उपरांत 2010 में राज्य सभा में उपेंद्र कुशवाहा को भेजा गया। लेकिन पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ कुछ ही दिनों में बयानबाजी शुरू हो गयी। अंततः राज्यसभा से 2013 में उपेंद्र कुशवाहा ने इस्तीफा देकर पार्टी से अलग हो गए। इसके बाद नयी रालोसपा पार्टी का गठन हुआ।
सीएम नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को 2004 विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया। इसके उपरांत कुशवाहा को प्रदेष महासचिव जदयू के बनाये गये। इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मंें कुषवाहा 2006 में शामिल हो गए। जदयू में विलय को लेकर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी दोनों ओर से संकेतो में बातें की जा रही है। दोनों ओर से आधिकातिक तौर पर बयान जारी नहीं किए गए है। लेकिन सूत्रों से जानकारी के अनुसार जल्द ही विलय की प्रक्रिया पूरी होगी।
संवाददाता, एबी बिहार न्यूज।