Valentine Day 2023: प्यार की निशानी, दशरथ मांझी की कहानी, अपने प्यार के लिए पहाड़ काट कर बनाया रास्ता

 Valentine Day 2023: प्यार की निशानी, दशरथ मांझी की कहानी, अपने प्यार के लिए पहाड़  काट कर बनाया रास्ता

बिहार के गया जिले के गहलौर गांव के दशरथ मांझी की लव स्टोरी एक मिसाल है I वह अपने हाथों से 22 वर्षों तक उस पहाड़ की चट्टानों को काटते रहे थे जो उनकी पत्नी की मौत की वजह बनी थी I वर्ष 1960 से लेकर 1982 तक पहाड़ को पागलों की तरह छेनी और हथौड़ी से काट डाला था I 22 सालो में 25 फीट ऊंचा, 30 फीट चौड़ा और 360 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया I इस रास्ते के बन जाने से गहलौर से वजीरगंज सहित कई गांवों के आवागमन के लिए 40 किलोमीटर की दूरी कम हो गई I इसे मोहब्बत का प्रतीक भी कहा जाता है I

आपको बता दें दशरथ मांझी की लव स्टोरी पर कई फिल्में बनाई गई है I मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने प्यार की खातिर ताजमहल बना डाला था I उसी प्रकार उन्होंने अपनी पत्नी की खातिर पहाड़ का सीना चीर डाला और जीवन के 22 साल पहाड़ को काटकर सड़क बनाने में लगा दी I दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी बताते है कि उस वक्त दशरथ मांझी को लोग पागल कहते थे I वह सुबह होते हीं छेनी हथौड़ी लेकर पहाड़ को काटने चले जाते थे I

प्यार की निशानी, दशरथ मांझी की कहानी –

खबरों के अनुसार बताया जाता है कि गहलौर पहाड़ के दूसरी छोर पर दशरथ मांझी लकड़ी काट रहे थे I अपने पति मांझी के लिए फगुनी देवी खाना लेकर जा रही थी I खाना ले जाने के क्रम में वह चट्टानों के बीच में जा गिरी I उसके बाद दशरथ मांझी ने यह ठान लिया कि इस पहाड़ को ही काट डालेंगे और फिर इसी बीच घायल पत्नी फगुनी देवी की कुछ दिनों के बाद मौत हो गई I अपनी पत्नी के प्यार में पागल दशरथ मांझी ने 22 वर्षों तक पागलों की तरह पहाड़ की चट्टानों को काटता रहा और फिर एक दिन पहाड़ को काटकर आम लोगों के लिए रास्ता बना डाला I वहीं 17 अगस्त 2007 को दशरथ मांझी ने भी अंतिम सांस ली थी I दशरथ मांझी को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुनिया में एक नई पहचान दी I  जनता दरबार में पहुंचे दशरथ मांझी को उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए खुद नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी पर भी बिठाया था I पर्यटन विभाग के द्वारा 2019 से माउंटेन मैन दशरथ मांझी महोत्सव का आयोजन किया गया I

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