कैसा था अयोध्या का वातावरण, जब भगवान राम का हुआ था जन्म
चैत्र कृष्ण पक्ष की नवमी को वह दिन था जब भगवान राम इस धरती पर इंसानी काया के साथ अवतरित हुए थे. इस दिन सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्यापुरी में राजा दशरथ के घर भगवान श्री राम चन्द्र का जन्म हुआ था। उनके साथ उनके तीन भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न सभी अयोध्या में उनकी छाया में ही बड़े हुए। हर वर्ष चैत्र कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन राम नवमी का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनायी जाती है। इस साल 21 अप्रैल, 2021 को राम नवमी मनाई जाएगी। कभी आपने कल्पना किया है कि जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, उस दिन क्या माहौल रहा होगा.
आइये आज हम आपको उसी कल्पना के जगत में उस वक़्त की महत्ताओं के साथ लेकर चलते हैं. माता कौशल्या के कोख से भगवान राम का जन्म होना है और समूचे विश्व समेत देव लोक में देवताओं को भी इस शुभ घडी का इन्तेजार है.
धर्म की माने तो कहा जाता है कि महाराजा दशरथ ने पुत्र अंत्येष्टि यज्ञ किया था, जिसके बाद उन्हें चार पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई थी, जिसमें सबसे बड़े पुत्र भगवान राम थे.
भगवान राम का जन्म दोपहर के समय में हुआ था जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे और उस सम अभिजीत महूर्त था। जब प्रभु राम का जन्म हुआ तब शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रही थी। देवता और संत खुशियां मना रहे थे। सभी पवित्र नदियां अमृत की धारा बहा रही थीं।
जब भगवान का जन्म हुआ था, तब देवलोक से ब्रह्मा सहित तमाम देवता विमान सजाकर भगवान की नगरी अयोध्या पहुंचे थे. कहा जाता है कि देवों के आगमन से पूरी अयोध्या नगरी भर गयी थी. महाराज दशरथ ने उनका खूब स्वागत किया था. उन्होंने भोजन और ब्राह्मण दान की भी उत्तम व्यवस्था की थी.
जैसे ही भगवान का जन्म हुआ था, आसमान से पुष्प वर्षा हुई थी और पूरा नगर झुमने लगा था. घर घर बधावा बजने लगा था और लोग आनंदित होकर प्रभु ला स्वागत गान गा रहे थे.