राज्य सक्षम नहीं तो हमें उठाना पड़ेगा ठोस कदम : पटना उच्च न्यायालय
बिहार में लगातार बढ़ रहे कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए अब न्यायालय सख्त होने लगा गई. सरकार की नीतियों और प्रयासों से क्षुब्ध कोर्ट ने कई बार केंद्र और राज्य सरकारों क फटकार लगाई है और स्थति पर जल्द से जल्द काबू पाने को कहा है, लेकिन लगातार विकराल होती स्थिति को देखते हुए पटना हाई कोर्ट ने मंगलवार को तल्ख़ टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है की अगर सरकार लॉकडाउन नहीं लगाती तो कोर्ट खुद इसपे कदम उठाएगा.
मामले पर विचार व सुनवाई करते हुए जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह व जस्टिस मोहित कुमार शाह की खण्डपीठ ने कोरोना महामारी के सम्बंधित शिवानी कौशिक की जनहित याचिका पर सुनवाई को मंगलवार के लिए स्थगित करते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर को अनुरोध किया है कि वे चार मई तक सरकार से बात कर कोर्ट को अवगत कराये कि सरकार राज्य में लॉकडाउन लगाने जा रही है या नहीं?
कोर्ट की नाराजगी इस बात को लेकर सबसे ज्यादा है कि सूबे के अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई सुनिश्चित नहीं हो सकी है और इसका अब तक कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं दिया गया है। साथ ही केंद्रीय कोटा से मिले रोजाना 194 एमटी ऑक्सीजन की जगह मात्र 160 एमटी ऑक्सीजन का ही उपयोग हो रहा है। इतना ही नहीं, इसके अलावा बेड व वेंटिलेटर की कमी लगातार जारी है। कोर्ट के निर्देश के बाद भी सरकारी तंत्र इतना ढीला है कि बिहटा का ईएसआईसी अस्पताल पूरी क्षमता के साथ अब तक शुरू नहीं हो पाया है। निर्देशों की अवहेलना और राज्य में कोरोना की बेकाबू रफ्तार पर नाराज खंडपीठ ने फटकारते हुए कहा कि या तो सरकार बेहतर निर्णय ले या फिर कोर्ट को कड़ा फैसला लेना पड़ सकता है।