ई-कोर्ट परियोजना क्या है ?

 ई-कोर्ट परियोजना क्या है ?

ई-कोर्ट परियोजना को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के एक भाग के रूप में 2007 से लागू किया जा रहा है। यह परियोजना National Policy and Action Plan for Implementation of Information and Communication Technology in Judiciary पर आधारित है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वकीलों, वादियों और न्यायपालिका को नामित सेवाएं प्रदान करने के लिए आईसीटी का लाभ उठाना है। अब तक, इस परियोजना के तहत पूरे देश में 2,927 कोर्ट हाई-स्पीड वाइड एरिया नेटवर्क से जोड़े गये हैं।

मुख्य बिंदु

ई-कोर्ट परियोजना वर्तमान में दो चरणों में कार्यान्वित की जा रही है। चरण I को 2010 और 2015 के बीच क्रियान्वित किया गया था। चरण II को 2015 से 2020 के बीच 1670 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है।  इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं :

  • समयबद्ध नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करना।
  • अदालतों में निर्णय समर्थन प्रणाली स्थापित, विकसित और कार्यान्वित करना।
  • न्यायिक उत्पादकता को बढ़ाने के लिए और न्याय वितरण को सुलभ, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना।

यह परियोजना कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है।

पृष्ठभूमि

National Policy and Action Plan Implementation of Information and Communication Technology in the Indian Judiciary, 2005 के तहत ई-न्यायालयों की परिकल्पना की गई थी। यह नीति भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति द्वारा प्रस्तुत की गई थी।

हाल ही में, COVID-19 महामारी के मद्देनजर, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देश की सभी अदालतों को न्यायिक कार्यवाही के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करने के निर्देश दिए है। ई-कोर्ट वर्चुअल कोर्ट नहीं हैं।

ई-कोर्ट क्या है?

ई-कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक कोर्ट हैं जहां कानून के मामलों की सुनवाई एक योग्य न्यायाधीश की उपस्थिति में की जाती है। वे एक कम्प्यूटरीकृत अदालत से अलग हैं। ई-अदालतों में, मुकद्दमा करे वाला व्यक्ति अपने अपनी अर्जी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज कर सकते हैं, उनके मामलों की स्थिति ऑनलाइन देख सकते हैं, अदालत शुल्क का भुगतान कर सकते हैं और जुर्माना ऑनलाइन भर सकते हैं।

ई-कोर्ट के फायदे

  • वे अदालतों को समाज के सभी वर्गों के लिए सस्ता बनाते हैं।
  • मामलो का शीघ्र निपटान

ई-कोर्ट की चुनौतियां

  • ई-कोर्ट रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए कर्मचारी अच्छी तरह से प्रशिक्षित नहीं हैं
  • साइबर सुरक्षा एक बड़ी चिंता है।
  • मुकदमों के बीच विश्वास की कमी अभी भी ई-कोर्ट प्रणाली में व्याप्त है।

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