महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा ( डॉ. नम्रता आनंद)
पटना: महिला आरक्षण विधेयक व्यवस्था लागू होने से संसद, विधानसभाओं में महिलाओं को अपनी बात रखने की ज्यादा जगह मिलेगी और देश-प्रदेश के बदलावों में उनकी हिस्सेदारी होगी। महिला सशक्तिकरण की दिशा में अब तक की यह सबसे बड़ी पहल है। सदन में महिलाओं की अधिक सहभागिता सुनिश्चित कर उन्हें देश के विकास तथा देशवासियों के कल्याण के लिए और अधिक सक्रियता से कार्य करने के अवसर उपलब्ध कराएगी। यह हमारे समय में लैंगिक न्याय के लिए सबसे बड़ी परिवर्तनकारी क्रांति होगी।
इस बिल में देश की संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि बिल के क़ानून बनते ही लोकसभा और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिज़र्व हो जाएंगी। मौजूदा समय लोकसभा में 543 सीटें हैं। जिसमें से अब 181 सीटें महिलाओं के रिज़र्व रहेंगी। महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना भारत की संसदीय यात्रा में स्वर्णिम क्षण है। इस बिल के पारित होने से जहां नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा, वहीं इनके सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत होगी। यह सिर्फ एक कानून नहीं है, बल्कि इसके जरिए राष्ट्र निर्माण में अमूल्य भागीदारी निभाने वाली देश की माताओं, बहनों और बेटियों को उनका अधिकार मिला है।
इस ऐतिहासिक कदम से जहां करोड़ों महिलाओं की आवाज और बुलंद होगी, वहीं उनकी शक्ति, साहस और सामर्थ्य को एक नई पहचान मिलेगी।'”नारी शक्ति तेरा वंदन, वंदन है और अभिनंदन है, नारी शक्ति की मान बढ़ेगा, सपनों को अब पंख मिलेंगे, मिलजुलकर काम करेंगे, देश हमारा विकसित होगा. दुनिया का नेतृत्व करेगा!महिलाओं के लिए आरक्षण महिलाओं के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय और भेदभाव को सुधारने की दिशा में एक कदम है। यह उन पितृसत्तात्मक मानदंडों को तोड़ने का एक प्रयास है जिसने महिलाओं के अवसरों और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी को सीमित कर दिया है। यह नीति सिर्फ संख्या के बारे में नहीं है बल्कि महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने के बारे में भी है।
ऐतिहासिक रूप से, भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम रहा है, जिससे लैंगिक समानता कायम है। यह विधेयक महिलाओं को निर्णय लेने में भाग लेने का उचित अवसर प्रदान करता है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है।यह विधेयक पारंपरिक बाधाओं और पूर्वाग्रहों को तोड़ते हुए महिलाओं को राजनीतिक क्षेत्र में समान पहुंच प्रदान करता है। जैसे-जैसे महिलाएं राजनीति में अनुभव प्राप्त करती हैं, यह उनके नेतृत्व कौशल को बढ़ाता है और उन्हें उन नीतियों को प्रभावित करने के लिए सशक्त बनाता है जो उनके समुदायों को प्रभावित करती हैं।राजनीति में महिला प्रतिनिधित्व में वृद्धि यह सुनिश्चित करती है कि लिंग-विशिष्ट मुद्दों को संबोधित किया जाए और अधिक व्यापक निर्णय लेने की ओर ले जाया जाए। महिला राजनीतिक नेता पितृसत्तात्मक मानदंडों को चुनौती दे सकती हैं और अधिक समावेशी समाज का निर्माण कर सकती हैं।