देश की लगभग 62% महिलाएं पीरियड्स के समय सैनिटरी नैपकिन या किसी अन्य उत्पाद की जगह कपड़े का प्रयोग करती हैं जो जानलेवा है

 देश की लगभग 62% महिलाएं पीरियड्स के समय सैनिटरी नैपकिन या किसी अन्य उत्पाद की जगह कपड़े का प्रयोग करती हैं जो जानलेवा है

DESK:वौश्विक महामारी कोरोना से पूरा विश्व जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ कई ऐसी बिमारियां है जो चुपके चुपके हमारी लापरवाही की वजह से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है और फिर जानलेवा बन जाती है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के द्वारा सैनिटरी नैपकिन नहीं यूज करने से कई तरह की बिमारियां पैदा होती है

वर्तमान समय में एक तरफ हम महिलाओं व पुरुषों की बराबरी की बात करते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य जैसे मुद्दे पर उन्हें बराबर का दर्जा नहीं दे पाते.मौजूदा दौर में देश व स्वयं की तरक्की के लिए आवश्यक है कि महिला व पुरुष एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलें.लेकिन महिलाएं कई रूढ़िवादिताओं के कारण पीछे रह जाती हैं.इन्हीं में से एक है स्वास्थ्य की दिक्कतें.पीरियड्स, हर माह महिलाओं को होने वाली एक प्राकृतिक क्रिया है.लेकिन सही ध्यान न देने के कारण उन्हें कई गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ता है.इन बीमारियों में कैंसर भी शामिल है.हाल ही में किए गए एक अध्य्यन के अनुसार देश की लगभग 62% महिलाएं पीरियड्स के समय सैनिटरी नैपकिन या किसी अन्य उत्पाद की जगह कपड़े का प्रयोग करती हैं .

उपरोक्त बातें आइ डब्ल्यू सी पटना वनश्री की अध्यक्षा महिमा शर्मा ने पटना वन श्री के द्वारा घर -घर जाकर काम करने वाली महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन से संबंधित जानकारी देते हुये बतायीं साथ हा साथ उन्होंने कहा कि महावारी के दौरान अपने स्वास्थ का ध्यान रखें.महिलाओं के सैनेटरी नैपकिन ही उपयोग करने की सलाह देते हुए सभी को सेनेटरी नेपकिन का पैकेट भी दिया. इस कार्य में क्लब की आइ एस ओ प्रियंका शर्मा भी उपस्थित थीं.

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