पॉजिटिव रिपोर्ट के साथ पटना में भटकता रहा कोरोना मरीज, किसी ने एडमिट नहीं किया..
महावीर कैंसर संस्थान ने फोन पर कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी और और एम्स या अन्य कोरोना अस्पताल में भर्ती होने की सलाह भी दी।
पटना में कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे कोरोना से जंग में सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एक तरफ जहां सरकार कड़े कदम उठा रही है, वहीं दूसरी तरफ गुरुवार को पटना के फुलवारीशरीफ का एक कोरोना संक्रमित अपनी पॉजिटिव का रिपोर्ट लेकर पटना की सड़कों पर दर-दर भटकता रहा।
इस कोरोना मरीज को न तो एम्स में जगह मिली और न ही किसी क्वारंटाइन सेंटर में। क्वारंटाइन सेंटर में जाने के लिए इस मरीज ने ऑटो और बस का भी सहारा लिया। मगर पॉजिटिव मरीज में किसी तरह का लक्षण नहीं देखकर किसी को यह भनक तक नहीं लगी कि पड़ोस में बैठा युवक कोरोना पॉजिटिव है।
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खुद मरीज ने कहा कि उसके मुंह में फस्ट स्टेज का कैंसर है और महावीर कैंसर संस्थान में मुख्यमंत्री सहायता योजना के तहत सर्जरी का 32 हजार रुपया भी जमा हो गया। मगर ऑपरेशन के ठीक पहले कराए गए कोरोना जांच में वह पॉजिटिव पाया गया।
महावीर कैंसर संस्थान ने फोन पर कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी और और एम्स या अन्य कोरोना अस्पताल में भर्ती होने की सलाह भी दी। 30 वर्षीय संक्रमित युवक सीधे अपने घर से पहले बामेती पहुंचा। बामेती में पहले तो कैंसर पीड़ित कोरोना मरीज को रखने से इनकार कर दिया और फिर संक्रमित को एम्स पटना में जाने को कहा गया।
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संक्रमित वहां से टेंपो से एम्स पटना पहुंचा। जहां पहले से तीन-चार कोरोना संक्रमित कोविड वार्ड के बाहर खड़े थे। गार्ड ने बताया कि डाक्टर साहब ने कहा कि बेड खाली होने पर भर्ती किया जाएगा। चार घंटे बाद जब कोई बुलावा नहीं आया तो संक्रमित बस से अपने पुस्तैनी घर बिहारशरीफ रवाना हो गया।
इस मामले में सिविल सर्जन को जब फोन लगाया गया तो सभी कॉल काट दी गई। वहीं एम्स के नोडल अधिकारी डा संजीव कुमार ने बताया कि मरीज में कोई लक्षण नहीं है और वह पॉजिटिव होने के बावजूद स्टैबल है तो घर में होम क्वारंटाइन रह सकते हैं। लेकिन एक अस्पताल से दुसरे अस्पताल जाने और सड़कों पर भटकने के दौरान कितने लोग इस संक्रमित के संपर्क में आए होंगे। इसका जिम्मेवार कौन होगा।